हे प्राणी,
शून्य से तुम कितना घबराते हो।
शून्य से ही,
जब तुम सब पाते हो ।
शून्य होना,
मृत होना नहीं वरन् आजादी है ।
शून्य में,
सब समस्याओं की,
जड़े समा जाती हैं।
नंबर लाइन पर,
शून्य के दोनों तरफ नंबर हैं,
देखना हमें है,
हम पॉजिटिव हैं या नेगेटिव साइड के मेंबर हैं।
पॉजिटिव नंबर में जितने शून्य जुड़ेंगे उतने ही बेहतर हम बनेंगे।
यह राज है जीवन का,
न जाने कितने रहस्य अभी और खुलेंगे।
केवल यूनिवर्सल टाइम और स्पेस रिलेटेड थ्योरियां ही याद रखी जाती है,
मौसम की सर्द हवाएं तो आती हैं, जाती हैं।
हे प्राणी शून्य से तुम इतना क्यों घबराते हो,
शून्य से ही ,
तुम,
सब पाते हो।