“हे प्रभु,
तेरी शरणागति ही सर्वोपरि है।”
ओ पार्थ ,
देख, देख,तू मेरे ,
पूरे विश्व रूप को, देख।
यह भी देख, वह भी देख ,
ओ अर्जुन ,
जहां तक देख सकता है,
तू देख ।
तू मेरा है, मैं तेरा हूं, कोई भेद नहीं,
मिटा दे सारी रेख।
देख, देख तू मेरे,
पूरे विश्व रूप को, देख।
जीवन तुझको मिला,
कुछ समय के लिए ,
“बस यह समय ही है, कीमती।”
कम है ,बहुत कम है,
यह ना देख।
देख देख तू मेरे
पूरे विश्व रूप को देख।
सब कुछ मुझ में है समाया,
यह विश्व रूप मैंने तुझे ,
बहुत कम ही , है दिखाया ,
क्या प्रयोजन है?
इसे देखने का ,
मेरी ही तो है ,
यह सब माया।
अति प्रिय हो ,
तुम मुझे,
मैं हूं ,
साथ,
सदा तेरे,
बनकर ,
तेरा ही हम साया।
मेरी ही तो है,
यह बस,
क्षणिक माया।
फिर क्यूं ,
तेरा मन,
इतना घबराया।
देख देख ,तू मेरे
पूरे विश्व रूप को देख।
बनो तुम कर्म शील ,
कर्तव्य कर्म
की राह पकड़ो,
मेरी ही प्रकृति है, सब,
सत्व रज तम में, खुद को ना जकड़ो,
भाव- स्वभाव- प्रभाव से,
बाहर आओ,
खुद को मुझ में पाकर, खुद में मुझको पाओ
हे इंद्र -सुत!
अंतर मन में सारे
भय- भृमों को जीत,
बढ़ो। आगे बढ़ो।
प्रिय हो ,
तुम मुझे बहुत प्रिय हो,
अमर हो,
तेरी मेरी प्रीत।
देख देख तू मेरे
पूरे विश्वरूप को देख ,
तू मेरा है, मैं तेरा हूं, मिटा दे सारी रेख।
देख देख तू मेरे ,
पूरे विश्व रूप को देख।