पिता प्रथम शिक्षक Father First Teacher
“आओ नमन करें उस आसमान को जिसके साए में रहकर हर अच्छाई हमारी अंकुरित हो गई
जग से अलग थीं जिनकी बातें
काटते थे जो जगकर हमारे लिए अपनी रातें
पिता ही गुरु थे हमारे
शिक्षा के लिए उन्होंने अपना जीवन दिया
महत्व शिक्षा का बताया
व्यक्ति से अधिक व्यक्तित्व के विकास को समझाया
सपने देखो खुली आंखों से
कभी न हारो हिम्मत
चलते रहो थको नहीं
जीवन है अविरल पथ
सच्चाई और अच्छाई हैं तुम्हारे दोनों कदम
बढ़ते जाओ खूब बढ़ो कभी थको ना
जब तक जीवन
भूल जाओ क्षमा करो
हारो ना खुद से कभी
देव तुम्हारे साथ खड़े हैं तुम लड़ो तो सही
सेवा सिमरन पूजा करम से बड़े नहीं
कर्म ही पूजा रहा उनका विश्वास यही
हर जन्म में आप पिता मिले मांगू मैं सदा ईश से
संस्कार मिले चाहूं यही जगदीश से
आओ नमन करें उस आसमान को”