” एक सांस आए एक सांस जाए “
” बैठे हैं तेरे दर पर सोच कर यही
समझे कोई ना मुझको
तू तो मेरा है हर सही
जिंदगी की सांस जब है गिनी हुई
हर सांस पर हो नाम तेरा
कर्म यही है सही
मैं आऊं पास तेरे
या तू मन में समा जाए
जैसे एक सांस आए और एक सांस जाए
तेरी शरण में ही है मेरी जिंदगी सही
हो बहाना कोई भी बस याद तेरी ना जाए
बिगड़ी मेरे कर्मों की हर बात तू बनाए
मैं भूल गया आकर जग में तुम ना भूले यह प्रेम सगाई
मैं भूल गया जब निभना सांवरे तूने सदा निभाई
उड़ती पतंग को प्रेम डोर से पकड़े रखा सदा तुमने
मायूस अंधेरी रातों में भी रोशनी दिखाई