अहंकार से ओंकार तक की है यात्रा जीवन की ।
सबको वही जाना है बस रास्ते हैं सबके अलग।
पुनरपि जनमं पुनरपि मरणं पुनरपि जननी जठरे शयनं ,
पश्यति ना पशयतं
इह संसारे खलु दुस्तारे
कृपया पारे पाहि मुरारे।
हे गोविंद हे गोपाल अब तू ही संभाल।
हम हैं सहारे तेरे,
अब तू ही संभाल।
अहंकार से ओंकार तक ।
अहंकार से ओंकार तक।
सुन ले सुन ले मेरी करुण पुकार।
हे माधव !
तेरी करुणा को
कर साकार।जीवन का सत्य,
ऊंकार ।
पुकारो मन से, ऊंकार,
ऊंकार,
ऊंकार।