खुद पर कई बंधन लगाने होंगे।
इंद्रिय प्रबल वेगों पर लगाम लगाने होंगे ।
हवाओं के अनुसार
पाले बदलने होंगे।
सागर में राहतों के,
कई रास्ते और बनाने होंगे ।
काम ने कहा
मुझे भूख लगी है
क्रोध ने कहा
खा जाऊंगा
लोभ बोला
कैसे खाओगे
मोह ने कहा
नहीं खा पाओगे
मद ने कहा
कैसे बचा पाओगे
मतसर ने कहा सब कुछ मुझसे ही पाओगे
अहंकार के सब साथी
एक स्वर में चिल्लाए
कैसे आत्मा को परमात्मा से मिलाओगे
हमसे ना कोई पार पाये
अहंकार के सब साथी एक स्वर में चिल्लाए।