जब भूल गए पंचदेवों को
जब भूल गए माता-पिता के चरणों को
जब भूल गए गुरु के निर्देषों को
जब भूल गए आत्मा में परमात्मा को
तभी तो प्रबल वेगों की आंधी से घबराए
तभी तो संकट के बादल मंडराए
क्या खुद को बांधना जरूरी नहीं
क्या खुद को संभालना जरूरी नहीं।
बह कर संवेगों के वेगों से,
क्या खुद पर बांध बनाना जरूरी नहीं।
क्या खुद पर बांध बनाना जरूरी नहीं।