भावनाएं मानव जीवन की वह अदृश्य शक्ति हैं, जो हर निर्णय और क्रिया को संचालित करती हैं। यह हमारे भीतर का वह वाई-फाई है, जिससे जुड़कर हम अपने जीवन की दिशा तय करते हैं। भावनाओं की तीव्रता हमें भगवान के करीब भी ले जा सकती है, और इसी की बहाव में बहकर हम शैतान भी बन सकते हैं। जैसे कि एक पुरानी कहावत है:
*”जिसकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।”*
यह हमारे जीवन की वास्तविकता को दर्शाता है। हमारी भावनाएं ही हमारी इंसानियत की अभिव्यक्ति हैं। हमारी उन्नति और विकास के सारे आयाम इन्हीं पर आधारित होते हैं।
भारतीय संस्कृति में भावनाओं को संतुलित रखने के लिए विशेष दिनचर्या का पालन करने का महत्व बताया गया है। यह दिनचर्या हमारे शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक होती है, साथ ही भावनाओं के वेगों को संतुलित रखने का कार्य भी करती है। भावनाएं भले ही दिखाई नहीं देतीं, परंतु इनका अस्तित्व नकारा नहीं जा सकता।