गुरु
जैसे सूर्य की हर किरण से रोशनी आती है,
वैसे ही गुरु की शक्ति इस ब्रह्मांड में समाती है।
गुरु कोई सत्ता नहीं, केवल गुरु ही सत्य है,
सूर्य से निकली हर किरण में जैसे, प्रकाश का ही अस्तित्व है।
कोई भेद नहीं,
कौन सी किरण तुम तक आ रही है।
सब सत्-चित-आनंद,
बोधमय ज्ञान का ही प्रकाश फैला रही हैं।
एक किरण काफी है, सूर्य के प्रकाश के लिए,
एक गुरु काफी है, परमात्मा से मुलाकात के लिए।
नमन है गुरु को, नमन है गुरु सत्ता को,
नमन है गुरु भक्ति को, नमन है गुरु शक्ति को।
वंदे बोधमयं देवम गुरु शंकर रूपिनं।
यमाश्रित वक्रोपि चंद्र सर्वत्र वंदते।
देहि सौभाग्यं आरोग्यं,
देहि मे परम सुखं।
रूपं देहि, जयं देहि, यशो देहि, दिशो जहि।