हे मां !

हे मां !
तेरे आंचल में, कितनी शांति है।

सब कुछ सरल सहज हो जाता है, जग में जो भी भ्रांति है ।

बुलाकर बैठा कर, मां तेरे आंगन में ,
मैंने सब कुछ पाया।

जिंदगी घनी धूप, सुकून देती तेरी छाया।

मां
तूने रहम किया ,
हर राह को मेरी आसान किया ।
मन मेरा था एक बुझा दीप,
तेरी ज्योति से बना अखंड दिया।

हे मां
तेरे आंचल में कितनी शांति है,
सब कुछ सरल, सहज, हो जाता है, जग में ,
जो भी भ्रांति है।

Sangam Insight

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