कल भी कुछ ना था आज भी कुछ ना हूं
हे माधव
अपनाते हो तुम,
तो बन जाता
सब कुछ हूं।
हे यादव
यादों में तुम थे सामने भी तुम हो
भूलने की कोशिश कैसे हो कामयाब,
बंद आंखों के भीतर भी तुम हो।
हे कृष्ण
कभी कहते हो “मैं ही सब हूं”
कभी कहते हो “सब ही मैं हूं”
चरणों में बिठा लो
शरण में ले लो
मिटा दो झगड़ा
हूं बस तेरा
जैसा भी मैं हूं।