मां के जाने के बाद भी
हां मैं करती हूं
अपने मायके से प्यार ,
कोई खबर आ जाए खुशी की ,
करती हूं मैं इंतजार।
हाल मेरा भी पूछ ले “कैसी हो दीदी आप और आपका परिवार”
इंतजार रहता है
तो क्या इसमें गलत है
मायके से प्यार है
तो इसमें क्या गलत है ।
कुछ तो गलत है जो होकर भी दिखता नहीं
या महसूस करने के मायने हैं बदल गए
मां बापूजी के जाने के बाद
बेटियों के लिए ससुराल से ज्यादा मायके पराये हो गए।
यूं तो फोन पर होंगे ढेरों बातें
पर हो खास दिन, भतीजे का जब हो जन्मदिन ,
या भाई की हो कोई खुशी की वजह, बताने में पड़ जाती हैं घड़ी की सुइयां कम ।
इस इंतजार में छिपी ममता दिखाई नहीं देती।
“तू मां जैसी है छोटे भाइयों के लिए” यह भूल जाऊं
अब, कुछ निगाहें यह भी हैं कह देती।
बहुत कुछ अनुभवों ने सिखाया
पर प्यार बचपन का भूल नहीं पाती हूं ।
मां बाबूजी और मायका,
हैं मेरी जड़े,
भीगी कौरौं से,
अब यह बात भी, मन में छुपा जाती हूं।
माना हक नहीं मेरा, पर फर्ज है तुम्हारा यही है संस्कार
यही है संस्कृती,।
मायके की यादों में, ससुराल में मेरी हर रात
है बीती ।
एक फोन
बस एक खबर
कर दिया करो मेरे प्यारे भाइयों
साथ चले हैं
साथ खेले हैं
साथ में की है मस्तियां,
उम्मीद इसीलिए रहती है ,
कि थोड़ी और बांट लें,
आपस की गम और खुशियां।
भाई ,माना बहुत काम करते हो,
बहुत बिजी रहते हो,
जानू में हमेशा से,
पर मन से तुम भी दीदी से उतना ही जुड़े हो रहते ।
कह नहीं पाते
जता नहीं पाते
या क्लेश से हो डर जाते ।
मुझे कुछ नहीं सुनना
मैं हूं दीदी तुम्हारी जब तक जिऊंगी, जीजी ही कहलाऊंगी
भाई भतीजे
उनकी बहुएं
और हो खूब तुम्हारे नाती पोते
सदा आशीषों से भरी है, मेरी हर ख्वाहिश,
क्योंकि इंतजार करती हूं,
रहती है मायके की, दिल में, हरदम एक कशिश।
खबर आ जाए बस एक बार
“जीजी आप कैसी हो” खुद भी फोन उठा कर कह दो बस एक बार।
नहीं भूल पाती हूं बचपन का प्यार,
करती हूं हां करती हूं, मैं इंतजार,
जब तक फोटो में ना टंग जाऊंगी तब तक करूंगी याद,
अपने मायके को याद करने का है अधिकार
करो ना करो तुम स्वीकार।
हां मुझको रहता है इंतजार,
रहता है इंतजार, अपने मायके से, फोन आने का,
एक बार ,
एक बार ,
नहीं
बार-बार
बार-बार।