नई सुबह,
नयी सहर,
फिर नये सफर पर चलना है।
छोड़ कर सब पुरानी बातें नई कहानी लिखना है।
मंजिलें तो मिलेगीं चलना जरूरी है।
चले बिना, राह नहीं कोई पूरी होती है।
मन की थकान को मन की शक्ति से ही मिटा दो
मन ही गिराये
मन ही उठाए
मन को मन में ही समझा दो
मन मे बुने सपने सच करने का दिन है आया।
ए मन मेरे,
बैठो न यूं मायूस होकर,
सोचो न क्या खोया क्या पाया।
हर दिन संघर्ष है
हर रात समाधि है ।
ये चक्र है प्रकृति का,
हमारी संस्कृति का,
इस चक्र में फिर एक नया सूर्य उग आया है ।
आओ स्वागत करें इस चमक का,
नव सुहागन की बिंदिया की दमक का,
नई सुबह नये सफर को तय करें
आओ एक बार फिर सफ़र करें,
आओ एक बार फिर सफ़र करें।