मौसम

मौसम

मत बांधो मौसम को दिन, साल और महीनों में,
आने दो सावन को, कभी-कभी गर्मी के भी मौसम में।

बूंदें जो थोड़ी ठंडी बरस जाएंगी,
बयार लहर कर जो बहक जाएगी,
तपती हुई, जलती धरती को भी,
थोड़ी राहत मिल जाएगी।

थोड़ा गला तर पंछी भी कर लेंगे,
सूखी चोंचों को थोड़ी गीली कर लेंगे,
झुलसे पंखों में थोड़ी जान भर लेंगे।

मत बांधो मौसम को दिन, साल और महीनों में,
आने दो बारिश को, गर्मी के भी मौसम में।

नियत और नियति भी बदलती है कभी-कभी,
ईश्वर की करुणा-कृपा भी बरसती है कभी-कभी।
उनकी इस करुण इनायत का कुछ दम भर लेने दो,
आने दो बारिश को, कभी-कभी गर्मी के भी मौसम में।

मत बांधो मौसम को दिन, साल और महीनों में।

Sangam insight

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